लाशें नोंच खा रहे
गिद्ध सरीखे वे मानव(?)
गो-हत्या निषेध के लिए
नर-हत्या जायज़ मानते हैं ,
मंदिरों में नर-बलि देकर
मस्जिदों में खौफ पैदा करते हैं ,
राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने
हाथों में फूल लिए
"काँटों" को निकाल बाहर करते हैं....
वे राजनीति करते हैं !
(०६.०६.'०६)
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