Tuesday, June 21, 2011

अज़ब सा खालीपन है
चाँद है...
आकाश में भी
और गंगा में भी
रुका हुआ सा
और
कांपता हुआ भी
तुम भी यहीं कहीं हो
मेरी जुगनू ?

(१६.१२.'०५)

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