rhythm of life
attraction of incompleteness is more than absolute !
Tuesday, June 21, 2011
एक
क्षण
रुक
कर
अचानक
से
ढलक
पड़ती
है
शक्लों
में
बूंदों
के
भींगे
हुए
कोनो
से
पत्तों
के
और
आँखों
से
सामानांतर
!
एक
चेहरा
कांपता
हुआ
बिखरता
है
हर
बार
क्षण
भर
का
अस्तित्व
लिए
हर
बूँद
में
.....
निरंतर
!
(
१८
.
०१
.'
०६
)
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