रिश्तों के मिज़ाज बदलते रहते हैं
लेकिन
कुछ भी नहीं बदला है
इतने सालों में
तेरे मेरे बीच
मैं जनता हूँ ...और यकीं भी करता हूँ (!)
महज़ इतनी सी बात हुई मेरे दोस्त
कि_
पहले लोग मुझसे पूछा करते थे
अब मैं लोगों से पूछा करता हूँ
.......ख़बर तुम्हारी !
(१३.०५.'०८)
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