Thursday, June 30, 2011

तुम

रिश्तों के मिज़ाज बदलते रहते हैं
लेकिन
कुछ भी नहीं बदला है
इतने सालों में
तेरे मेरे बीच
मैं जनता हूँ ...और यकीं भी करता हूँ (!)
महज़ इतनी सी बात हुई मेरे दोस्त
कि_
पहले लोग मुझसे पूछा करते थे
अब मैं लोगों से पूछा करता हूँ
.......ख़बर तुम्हारी !

(१३.०५.'०८)

No comments:

Post a Comment