Sunday, June 26, 2011

आँखों में बीती मेरी रातें
सुनाएगी कहानियां तुम्हें
जलते ख्वाबों की
जो मैंने तुम्हारे साथ बुना था.....
राख़ के ढेर से मैं
फिर से उन्ही ख्वाबों को
वजूद में लाने की हिम्मत करता हूँ
हर जागी रात में
जो रोज़
मेरे सामने से गुज़र जाती हैं_.....

(०९.०३.'०७)

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